CHANDAULI:पीडीडीयू नगर में छठ पूजा: धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक सौहार्द का संगम, घाट पर उमड़ता है आस्था का सैलाब, जानिए इसका महत्व
CHANDAULI: चंदौली(पीडीडीयू नगर) : (खबर केसरी)। कार्तिकमास में मनाए जा रहे छठ पर्व के तीसरे दिन महिलाओं की और से रखे गए निर्जला व्रत के पास सैकड़ों महिलाएं अलीनगर स्थित मानसरोवर तालाब पर सूर्य अर्क के लिए पहुंची।महिलाओं ने तरह तरह के बनाए गए पकवानों का अर्क सूर्य देव को लगवाया।
CHANDAULI अलीनगर स्थित मानसरोवर तालाब पर पूजा अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं का तांता लग गया और एक से डेढ़ किलोमीटर लंबी कतार अखाड़ा नहर में पूजा को उतरी महिलाओं की लगी देखी गई। नहर पर मौजुद ज्यादातर महिलाएं जहां खुशी से फूले नहीं समाई वही प्रशासन की और से कोई भी प्रबंध ना किए जाने की वजह से उनमें रोष झलका। वहीं सूर्योपासना के पर्व छठ के तीसरेअस्ताचलगामी भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य दिया गया। नहर के तटों पर हजारों व्रतियों ने अर्घ्य दिया और पूजा-अर्चना की. चार दिनों के इस अनुष्ठान के अंतिम दिन शुक्रवार सुबह व्रती उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे और इसी के साथ छठ पूजा का समापन हो जाएगा।फलों और पकवानों का दौड़ा लेकर हजारों व्रती नहर के घाटों पर पहुंचे। आम से लेकर खास तक के लोग भक्ति में डूब गए. छठ को लेकर पूरा शहर भक्तिमय हो गया है. और नहर के तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
धर्म एवं आध्यात्म की नगरी काशी में सात वार में नौ त्योहार मनाए जाते हैं। उन्हीं में से एक है ‘छठ पूजा’। अन्य त्योहारों की भांति छठ पूजा का भी विशेष महत्व है, हालांकि यह पर्व बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश का मुख्य त्योहार माना जाता है।
पीडीडीयू नगर में भी छठ का आयोजन भव्यता और श्रद्धा के साथ होता है। गंगा के घाटों पर छठ व्रतियों की भीड़, भक्तों का उत्साह, और भक्ति का वातावरण इस पर्व को अनोखा बना देता है। पीडीडीयू नगर में छठ पर्व का अपना एक अलग ही इतिहास और सांस्कृतिक महत्व है, जो समय के साथ प्राचीन परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ता गया है। पीडीडीयू नगर में छठ पूजा की शुरुआत का कोई निश्चित इतिहास नहीं है, परन्तु ऐसा माना जाता है कि बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों से आए लोगों ने इस परंपरा को काशी में जीवित रखा। काशी, जो गंगा किनारे बसी है, छठ पूजा के लिए एक आदर्श स्थान माना जाता है। समय के साथ यह परंपरा स्थानीय लोगों के बीच भी लोकप्रिय हो गई। जैसे-जैसे बिहार और पूर्वांचल के लोग वाराणसी में आकर बसे, वैसे-वैसे छठ का महत्त्व और प्रचलन बढ़ता गया। अब यह पर्व यहाँ इतनी श्रद्धा से मनाया जाता है कि काशी की धार्मिक धारा में यह पूरी तरह समाहित हो गया है।
छठ पूजा की धार्मिक महत्ता
CHANDAULI छठ पूजा सूर्य देवता की उपासना का पर्व है, जिसमें उन्हें ऊर्जा, स्वास्थ्य, और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा जाता है। काशी में गंगा नदी के किनारे होने के कारण यह पूजा विशेष रूप से महत्व रखती है। हिंदू धर्म में गंगा को माँ का दर्जा प्राप्त है और सूर्य देवता को जीवन का स्रोत माना जाता है। काशी में सूर्योपासना का एक प्राचीन इतिहास है, और यहां के घाटों पर सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस प्रकार, गंगा और सूर्य का संगम छठ पूजा को अत्यंत पवित्र बनाता है।