
स्टोरी पार्ट 2
जल्द आपके सामने लाएंगे पार्ट 3 स्टोरी
इंतजार बस कुछ ही दिनों का ………….
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DDUNAGAR:अगर पशु काटना हुआ बंद तो, हड्डी की गोदाम खुद व खुद हो जाएगी बंद
CHANDAULI:अधिकारियों को मुख्यमंत्री का भी खौफ नहीं
CHANDAULI:पशु वध के कई ठिकाने, लाइसेंस एक भी नहीं

CHANDAULI: शहर में अवैध कट्टीघरों (बूचड़खाना) की कमी नहीं हैं
CHANDAULI: शहर में अवैध कट्टीघरों की कमी नहीं हैं
DDU:अगर पशु काटना हुआ बंद तो, हड्डी की गोदाम खुद व खुद हो जाएगी बंद
DDU:दुल्हीपुर में भी धड़ल्ले से काटे जा रहे हैं पशु
MUGHALSARAI:जल्द होगा सब का नाम उजागर
मुकेश तिवारी
CHANDAULI: चंदौली(पीडीडीयू नगर) : (खबर केसरी)। शहर में अवैध कट्टीघरों की कमी नहीं हैं। कई इलाकों के घरों में पशु काटे जाते हैं। यह जानते हुए भी कि मुगलसराय शहर में नियम विरुद्ध पशुओं का वध होता है। मगर इस पर प्रभावी अंकुश कभी नहीं लगाया गया।
शहर में यांत्रिक बूचड़खाना एक भी नहीं है। यहां न तो नगर पालिका ने कट्टीघर का लाइसेंस दे रखा है यहां से नजदीक मोहाल के एक स्लॉटर हाउस में जरूर पशु काटे जाते हैं। यहां के मीट विक्रेता यह कहकर गुमराह करते हैं कि वे बाहर से लाकर ही यहां मीट बेचते हैं। मगर सच कुछ और ही है। विक्रेता खुद ही पशु काट लेते हैं और मीट भी यहीं बेचा जाता है। शहर में कसाब मोहाल के निकट बंद पड़े कट्टीघर को चालू करवाने के लिए मीट कारोबारी प्रयास करते रहते हैं लेकिन इस कट्टीघर को पहले ही बंद कराया जा चुका है।
भेस-मुर्गा-बकरा काटने को भी नियम
पशु चिकित्सक की एनओसी के बिना भैंसे,बकरे और मुर्गे नहीं काटे जा सकते। मीट विक्रेताओं को पहले पशु चिकित्सक से बकरे और मुर्गे के स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र लेना होगा। तब ही मुर्गे-बकरे काटने की अनुमति मिल सकती है। बिना स्वास्थ्य जांच कराए मुर्गों और बकरों को काटा नहीं जा सकता। इसके साथ ही भैंस ,मुर्गे काटने की संख्या भी निश्चित होती है। मुर्गों को लटकाया भी नहीं सकता। वहीं मीट को ज्यादा दिनों तक फ्रीज में भी नहीं रखा जा सकता।

यह है नियम
बात यदि कट्टीघर के लाइसेंस की करें तो अब लाइसेंस में काफी कड़ी शर्तें हैं। सबसे पहले तो यह नियम है कि हर कटने वाले मवेशी का चिकित्सकीय परीक्षण होगा और वैटेरिनरी चिकित्सक की रिपोर्ट के बाद ही उसका कटान हो सकेगा। नियम यह भी है कि आधुनिक पशु वधशालाओं में ही मवेशियों की कट्टी हो सकेगी, जहां कि आधुनिक मशीनें हों। कट्टी के बाद खून और कचरे का निस्तारण भी इन कट्टीघरों में हो। यह कट्टीघर आबादी वाले इलाके से दूर होने चाहिए, ताकि इनसे न तो किसी के स्वास्थ्य को हानि पहुंचे और न ही पर्यावरण दूषित हो।
आदेश पर अमल नहीं
वर्ष 2016 में प्रदेश के प्रमुख सचिव ने आदेश जारी कर जिले में अवैध रूप से संचालित कट्टीघरों को प्रशासन और पुलिस की सहायता से बंद कराया जाए। साथ ही अवैध रूप से हो रहे पशुओं के कटान को लेकर एक टीम गठित की जाए। जिसकी मासिक बैठक महीने में आयोजित की जाए। जारी होने के बाद इन आदेशों पर कोई अमल नहीं किया गया।